चल उड़ चल

एक ही दिन है उत्तरायण का
एक ही ज़िन्दगी है जीने की,
चल उड़ चल दूर गगन में
मत हार मान कट कट कर;
होने दे ज़ख़्मी उँगलियों को
थकने दे अंदर की रूह को,
फिर बाँध एक नयी पतंग
हासिल कर ले अपना मुकाम।

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