Shayari 17

सोचा नाराज़ हो जाऊं
पर ज़्यादा ना हो सका,
सोचा बात ना करूँ
पर मुझसे रहा ना गया;
उसूल ज़िन्दगी के
मेरे आदर्श ज़िन्दगी के,
सब बदल जाते हैं
तुझसे मिलने पे ऐ दोस्त।