दोस्ती

ना रिश्ता कोई खून का
ना ही जज़्बातों का,
ना कोई उम्मीद है तुझसे
ना प्यार करता हूँ तुझसे;
फिर भी जुड़ा है तू मुझसे
वाकित है मेरे नस नस से,
जानता है सारी बातें तू
पहचानता है तू रग रग से।
तेरी हर बात लगती है सच्ची
बुरी बात भी लगती है अच्छी,
रूठने का यहाँ कोई नाम नहीं
माफ़ी का यहाँ कोई काम नहीं;
एक रिश्ता होता है आदर का
एक होता है प्यार का,
पर जब दोनों मिल जाते हैं
बनता है रिश्ता यार का।