अंततः जवान

तुझसे ही मैं बना
बना मेरा जहां,
तेरे साथ खेला
तेरे आँचल में सोया;
गुजरा मेरा बचपन
तुझे देख हुआ बड़ा,
तुझीसे इश्क़ हुआ
तुझी मैं हुआ फना।

यह हीर-राँझा
यह शिरीन-फरहाद,
की मिशाले दी गईं
कई तारीफ़ें भी हुई;
पर मेरी दिवांगीको
मेरे यह पागलपनको,
न चाहीये कोई तारीफ
न ही कोई अलफाज़।

तुझीसे हूँ बना
तुझी में मिल जाता हूँ,
जवान ही जीता हूँ
जवान ही मर जाता हूँ।